बस्ती, जेएनएन। ई-टिकट के अवैध धंधे के जाल के लिए हैकर शमशेर ने सोशल मीडिया को हथियार बनाया। सफल भी रहा। साफ्टवेयर 'रेडबुल ' के जरिये पूरे देश में नेटवर्क खड़ा कर लिया। अच्छी आय का लालच देकर कम उम्र के लड़कों को निशाना बनाकर जोड़ा। वर्तमान में 5000 से अधिक एजेंट उसके पैनल से जुड़कर यह धंधा कर रहे हैं। इसके नेटवर्क को तोडऩे में टीम जुट गई है।
31 जनवरी को बस्ती में पुलिस और आरपीएफ के संयुक्त आपरेशन में वह पकड़ा गया था और पूरा नेटवर्क सामने आया। इस धंधे में बराबर का भागीदार उसका करीबी हैकर सलमान भी पुलिस की रडार पर है।
पुलिस व आरपीएफ के संयुक्त अभियान में पकड़ा गया
आरपीएफ के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त अमित प्रकाश मिश्र ने बताया उसने प्रमुख शहरों में लीड सेलर बनाए हैं। इनके नीचे पैनल सेलर काम कर रहे हैं। इनसे जुड़कर एजेंट यह धंधा कर रहे हैं। शमशेर अवैध साफ्टवेयर आपरेट करने के लिए विभिन्न नामों की फर्जी आईडी और लाग इन आइडी देता था। प्रतिमाह दो से तीन हजार रुपये किराया लेता था। ई-टिकट निकलने के बाद ब्लैक में दोगुने दाम पर बेचा जाता है।
सात साल में बन गया करोड़पति
ई टिकट के धंधे से बना करोड़पति
2012 में ई-टिकट के अनधिकृत धंधे से जुड़ा इंटर पास गोंडा जिले का कोल्हुई गरीब गांव निवासी शमशेर आलम सात साल में करोड़पति बन गया। 2016 में सीबीआई की गिरफ्त से छूटकर आने के बाद मुंबई में जाकर बस गया। हैकर ने गोंडा में तमाम चल-अचल संपत्ति खड़ी की है। पुलिस ने अब तक 5.32 करोड़ नकदी, स्कूल , जमीन और पांच ट्रकों के बारे में जानकारी जुटाई है।
शमशेर को जेल भेजने के बाद उसके अन्य सक्रिय साथियों और अर्जित बेनामी संपत्ति के बारे में जांच की जा रही है। क्राइम ब्रांच आरपीएफ टीम के साथ मिलकर कार्रवाई कर रही है। - हेमराज मीणा,पुलिस अधीक्षक